मिस्टर और मिसेज रायजादा बगीचे में बैठे हैं। जब से सरकारी नौकरी में आए थे लोग मिस्टर रायजादा के नाम से ही उनको पहचानते हैं। बगीचे में बहुत सारे बच्चे खेल रहे हैं और हम दोनों इन्हीं में अपने बच्चों का बचपन याद करके हंस रहेथे। ये हम दोनों की ही आदत है कि हम हर छोटी से छोटी खुशी में भी ठहाके लगाते हैं। घर पहुंच कर चाय बनाकर मैं फिर पुरानी यादों में खो गई। कैसे उन्होंने तीनों बच्चों को अंगुली पकड़कर चलना सिखाया, रात-रात भर जागकर उनका ध्यान रखा। उनके साथ वाली मिसेज शर्मा, मिसेज गुप्ता और हां मिसेज जैनसब लोगों के यहां आया रखी हुई थी, पर उन्होंने कभी बच्चों के लिए आया नहीं रखी। एक बार मिसेज शर्मा की बेटी की आया को उन्होंने उसके दूध की बॉटल से दूध पीते हुए देखा तब से तो उन्होंने पक्का मन बना लिया कि बच्चों को खुद ही पालेगी। हालांकि वीनू के बाद जुड़वा बेटियों को पालने में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा, पर बच्चों को पालना, उनके मुंह से मां-पापा सुनना एक अलग ही तरह का अहसास है। घर में वे और उनके तीन बच्चे हैं। सास-ससुर गांव में रहते थे। 3-4 महीने उनके पास रहकर चले जाते। गांव उन्हें अपना लगता। पर इन तीन चार महीनों में ही मीना उनका इतना ध्यान रखती किसारा दिन मुंह से आशीर्वाद ही निकलता। मां जी तो हमेशा कहती- तुम मेरा इतना ध्यान रखती हो, देखना तुम्हारे बच्चे सोने के पालने में झूला झुलाएंगे और वो हंसकर कहती, अरे… मां जी सोना बहुत महंगा हो गया है। जो जुड़वां बेटियां सोना-मोना और एक बेटे वीनू की मां मीना सारा दिन बच्चों के आगे-पीछे दौड़ती रहती हैं। कभी-कभी मन में ख्याल आता, इतनी पढ़ाई में तो वे आज कहीं नौकरी कर रही होती, किसी उच्च पद पर होती पर अगले ही पल उन्हें अपना मां, पत्नी और बहू वाला पद याद आ जाता और वो फिर अपनी दुनिया में रमजातीं। धीरे-धीरे बच्चे बड़े हो गए। वीनू बड़ा था। सोना-मोना से। बड़े होने पर उनकी ख्वाहिशे बढऩे लगीं और जरूरतें भी । वे मिस्टर रायजादा उनकी हर ख्वाहिश और जरूरतें पूरी करने में अपनी पूरी ताकत लगा देते। आखिर इस महंगाई के दौर में तीन बच्चों को पालना आसान नहीं है। वो तो शुक्र है कि उनके बच्चे बहुत समझदार हैं। वीनू आईएएस आफिसर बनकर मुम्बई में है, तो बेटियां भी अपने पसंद के क्षेत्र में हैं। सोना फैशन डिजाइनर बनी और साथ ही में काम करने वाले रोहित को पसंद कर लिया। हमें भी रोहित अच्छा लगा और सादगी से उनदोनों का विवाह कर दिया। मोना सोना से 15 मिनट छोटी है। बचपन में शिक्षिका बनकर हमें पढ़ाती थी। आज एक स्कूल में प्रिंसीपल बन गई है। बस अब मोना और वीनू के लिए अच्छा रिश्ता मिल जाए तो जिंदगी के सारे काम खत्म। फिर वो अपनीख्वाहिशें पूरी करेगी। शादी से पहले ही उनका भी एक सपना था। सारी दुनिया को ज्यादा नहीं सिर्फ एक मुट्ठी खुशी देने का, और वो ये सपना जरूर पूरा करेंगी।
तभी फोन की लगातार बजती घंटी से ध्यान भंग हो गया। अरे… ये तो वीनू है। कल शाम को वो आ रहा है। हम सबको एक खुशखबरी देने। विनीत बहुत समझदार लड़का है। जरूर उसका प्रमोशन हो गया है। खुशी के मारे उनसे भी खुशखबरी नहीं पूछीगई वो तो बस ये खबर मोना और उसके पापा को सुनाने दौड़ पड़ी।
सोना और रोहित को भी फोन कर दिया। कल का डिनर सब साथ ही करेंगे। इधर, मिस्टर रायजादा भी बहुत शुख थे। विनीत बहुत अच्छे मौके पर घर आ रहा है। आज सुबह ही उनकी मुलाकात मिस्टर कपूर जो उनके घनिष्ठ-पारिवारिक मित्र हैं, से हुई है। उन्होंने अपने बचपन के वादे को निभाते हुए विनीत और काजल उनकी बेटी का रिश्ता तय कर दिया है। अब विनीत के आते ही वे उनकी सगाई करवा देंगे। काजल बहुत प्यारी लड़की है। सोना-मोना-विनीत की खास दोस्त पर ये चारों ही बचपन के इस वादे से अंजान थे। आज मीना के हाथों में मशीन लगी थी। दम आलू, पनीर, रायता, पुलाव, मिठाई और न जाने क्या-क्या उनका लाड़ला बेटा जो आ रहाथा। वो खुश है, पर मन ही मन डर भी है कि कहीं विनीत ने इस रिश्ते के लिएमना कर दिया तो, पर नहीं वो क्यों मना करेगा। काजल उसकी दोस्त है। कहते हैंन कि मियां-बीबी में दोस्ती होना बहुत जरूरी है। तो ये दोनों तो पहले सेही दोस्त हैं। बस मीना ये सोचकर दोगुने उत्साह से काम करने लगी।
उफ, ये विनीत कब आएगा, थककर सोफे पर बैठी ही थी कि दो हाथों ने उसकी आंखें बंद कर दी, अरे ये तो विनीत के हाथ हैं। विनीत के घर में आते ही हंगामा मचगया। तेज अंग्रेजी धुनों के गाने और मस्ती। पूरा दिन मां-मां करके पीछे घूमता रहता था। अब इसी बच्चे की शादी तय हो गई है। रात का खाना खाकर जब सबलोग बैठक में बैठे तब विनीत ने बताया कि मम्मी-पापा मैंने एक लड़की पसंद करली है। बहुत अच्छी है। हम साथ काम करते हैं। मां-बाप नहीं हैं। भाई-भाभी हैं। वे मुझसे मिल चुके हैं। उन्हें हमारे रिश्ते पर कोई एतराज नहीं है। हमारे घर का माहौल इतना दोस्ताना था कि वीनू ने ये सारी बातें इतनी सहजतासे बता दीं। हम लोग काजल से बात पक्की ना करते तो हमें भी इस रिश्ते पर कोई एतराज न था। थोड़ा मुस्कुराये और बिना कुछ कहे अपने रूम में चले गए। हम समझ गए कि ये गहरी सोच में है। इसलिए उठकर चले गए, मैं भी साथ ही अंदर चली गई। रात का पता नहीं कौन सोया कौन नहीं… मगर मैं रात भर सो न सकी। एक तरफ मिस्टर रायजादा का वादा और दूसरी तरफ वीनू का प्यार। अब हमारे पास मिस्टर कपूर से बात करने के अलावा कोई चारा न था। सुबह होते ही हमने उन्हें फोन कर दिया कि हम लोग नाश्ता वहीं करेंगे। तैयार होकर मैं और रायजादा साहब वहां गए। वहां जाकर रायजादा साहब ने बिना किसी भूमिका के उनसे सारी बातें कह दीं। आगे निर्णय उन्हीं पर छोड़ दिया। कपूर साहब भी 5 मिनट के लिए सकते में आ गए। लेकिन ये दो दोस्त नहीं दो जान थे। आखिर वीनू उनके लिए भी बेटे समान ही था। उन्होंने वीनू का साथ दिया। उसे उस लड़की, जिसका हम अभी तक नाम भीनहीं जानते थे से शादी के लिए रजामंदी दे दी। हम हंसी-खुशी घर आए और इधर हमारे पीछे घर पर काजल आ गई थी- वीनू से मिलने। वीनू ने उसे भी सब बता दिया था, मुझे लगा आज की पीढ़ी हमसे ज्यादा समझदार है। बिना किसी तनाव के समस्याओं के हल ढूंढ़ लेती है। घर में खुशियों का माहौल बन गया। सबके चेहरों पर खुशी थी, अब मेरे भी मन में बहू को लाने के अरमान जगने लग गए। ये 4 दिन बाद हम सब मुम्बई जा रहे हैं। नम्रता और वीनू के रिश्ते की बात करने। उसके भैया-भाभी से। नम्रता के लिए मैंने साडिय़ां, सेट, सगाई की अंगूठी सब ले लिया था। काजल इन तैयारियों में मेरी पूरी मदद कर रही थी।
मुम्बई पहुंचते ही सारी बातें तय हो गईं। दोनों का उतावलापन देखकर और मलमासके आने पर 15 दिनों में ही शादी करने की बात तय हो गई। ओ..हो.. कितने काम करने हैं। वीनू-नम्रता ने भी छुट्टियां ले लीं थी। शादी के बाद हनीमून की बात सुनकर दोनों ने ही मना कर दिया कि हम बाद में तो मुम्बई में ही रहेंगे। इसलिए हमारी सारी छुट्टियां हम आपके साथ बिताना चाहते हैं। मैं तो ऐसी बहूपाकर निहाल हो गई थी। सब कुछ अच्छा चल रहा है। बड़ी धूमधाम से वीनू की शादी हुई। मैंने- मिस्टर रायजादा ने और सोना-मोना-काजल, मिस्टर कपूर सबबहुत खुश थे। मेरे पास आज एक मुट्ठी नहीं सारे जहान की खुशियां थीं।
शादी के बाद के दिन हवा बनकर उड़ रहे हैं। रोज शाम को कहीं न कहीं काप्रोग्राम बनता और वीनू-नम्रता को अकेले जाने का कहते, तो दोनों ही मना कर देते। रोज हम सब साथ ही में जाते। मैं तो रोज भगवान के सामने सबकी नजर उतारती कि कहीं हमारी खुशियों को किसी की नजर न लग जाए। आज शाम की फ्लाइटसे वीनू-नम्रता मुम्बई जा रहे हैं। अगले महीने नम्रता का जन्म दिन है। वो हम सबसे वादा लेकर गई है कि हम लबको मुम्बई उसके जन्म दिन पर जाना है।मिस्टर कपूर-काजल को भी वहां आना है। आखिर कपूर साहब ने उसे अपनी बेटी जो बना लिया। काजल उसकी तो वो बहन बन गई थी तो हम सबको तो मुंबई जाना ही था।
वीनू-नम्रता के बिना घर बहुत सूना हो गया था। हम सब बेसब्री से अगले महीने मुम्बई जाने का इंतजार कर रहे हैं। मां मेरी सारी पैकिंग हो गई है। आप-पापा भी जल्दी से पैकिंग खत्म कर लो। हमें आज शाम को निकलना है। कल भाभी का जन्म दिन है। मोना लगातार बोल रही है। मेरे हाथ भी उसी तेजी से सारे काम खत्म कर रहे हैं।
मां-पापा, सोना-मोना-कपूर अंकल-काजल और पापा- आज में बहुत खुश हूं।वीनू-नम्रता खुशी से चिल्ला पड़े। हम सब शाम की पार्टी की तैयारी में लग गए। मैं नम्रता के लिए बहुत सुंदर लाल रंग की ड्रेस लाई थी। शाम को वो वही पहनने वाली है। एक डायमंड सेट नम्रता तो खुशी से पागल ही हो गई- ये सब देखकर। शाम को उन दोनों के बहुत सारे दोस्त आए। सभी काफी समझदार लग रहे थे।अच्छे घरों के मगर उसमें से एक जोड़ा मुझे पता नहीं क्यों कुछ अजीब लग रहा था। नम्रता से कहा भी। पर ऐसा कुछ नहीं कहकर उसने बात को गोल कर दिया।पार्टी बहुत अच्छी रही। रात के दो बजे तक चली। हम सब बहुत थक चुके थे। इसलिए बिस्तर पर जाते ही सब सो गए। दूसरे दिन रविवार था इसलिए सुबह उठने का टेंशन भी नहीं था।
आज सुबह नाश्ते पर ही नम्रता ने कहा कि आज सब लोग पिकनिक पर जाएंगे। साथ में वीनू और नम्रता के कुछ दोस्त बी रहेंगे। हम सब तैयारी में लग गए, बीच-बीच में नम्रता मुझे थकी सी लगी, पर पार्टी की थकान समझकर मैंने ध्यान नहीं दिया। सारी तैयारी हो चुकी थी और इन दोनों के दोस्त भी आ चुके थे, जहां हम लोग गए वो जगह वीनू के बॉस का फार्महाउस था। बहुत खूबसूरत और ढेरसारे फूलों से भरा हुआ। मन को सुकून देने वाली जगह है यह। मगर वीनू का वो दोस्त -उसकी बीबी जिनकी हरकतें मुझे पार्टी में भी कुछ असामान्य लग रही थीं। यहां भी वे कुछ अजीब सा व्यवहार कर रहे हैं। वे दोनों और नम्रता कमरे में पता नहीं क्या कर रहे हैं। मुझे किसी अनहोनी की आशंका हुई और मैं कमरे में जा पहुंची। मुझे वहां देखकर तीनों सकपका गए और वे दोनों नम्रता को वहींछोड़कर बाहर चले गए।
क्या बात है नम्रता। कुछ परेशानी है। नम्रता ने जब आंखें ऊपर उठाईं तो उसकीांखें दहकते शोलों जैसी थीं। मां मुझे ड्रग्स की आदत लग चुकी है- नम्रताने बिना किसी भूमिका के कहा और मेरी गोद में सर रखकर रोने लगी। मैं जीनाचाहती हूं-मां। पर ये लत मुझे मार डालेगी। मुझे बचा लो-मां।
ये क्या कह रही हो। वीनू की तेज आवाज आई। पूरा घर दरवाजे पर खड़ा ये सच सुनचुका था। मुझे लगा मेरे हाथ से खुखियां रेत की तरह फितलती जा रही हैं। मैं… नहीं-नहीं मुझे कुछ करना होगा।
सब लोगों को शांत करके मैंने नम्रता को पानी पिलाया और उससे इस लत के बारे में पूछा, उसने जो बताया वो सुनकर मैं सिहर उठी।
नम्रता अपने मां-बाप की इकलौती संतान थी और एक मुंह बोला भाई था जिसने प्यार का झूटा आवरण रच रखा था। नम्रता के पापा ने अपनी वसीयत में सारी जायदाद नम्रता के नाम कर दी थी। जो करोड़ों रुपये की है। नम्रता की आकस्मिक मौत होने पर उसकी सारी जायदाद उसके भाई को मिल जाएगी। इस बात का पता चलते ही भाई-भाभी ने मिलकर ड्रग्स का षडयंत्र रचा और उसे इसकी आदत डलवा दी। वीनू से प्यार के बाद उसने काफी हद तक अपनी कमजोरी पर काबू पा लिया। मगर कुछसमय पहले भाई-भाभी ने अपने एक दोस्त और उसकी बीबी को उसके पास भेज दिया। उन्होंने उसे फिर उसी गर्त में ढकेल दिया। मां-मैं आप लोगों के साथ जीना चाहती हूं। उसके सिर पर हाथ फेरती मैं एक निर्णय ले चुकी थी। नम्रता को हमारा प्यार और सहयोग चाहिए। वीनू अपने प्यार की ये हालत देखकर आपे से बाहर हो गया था। इन दोनों को मेरे सहारे की जरूरत है। आज मुझे भी अपना नाम सार्थक करना है। जी हां… मैं दिशा रायजादा। क्रीमिनल लॉयर अपने समय की एक जानी मानी वकील, आप मुझे भी अपना अस्तित्व ढूंढऩा है। अपनों की खुशी वापस लाना है।
सबसे पहले मैंने नम्रता को रिहेब सेंटर में भर्ती करवा दिया और उन लोगों को सख्त निर्देश दिए कि मेरे और वीनू के अलावा और कोई बाहरी व्यक्ति उससे नहीं मिल सकता। दूसरी तरफ उसके भाई पर केस लगा दिया जायदाद के लिए अपनी बहन की हत्या की कोशिश के आरोप में। मुझे अपनी बहू और स्वयं की पहचान वापस लानी थी। 6 माह की लंबी लड़ाई के बाद हम केस जीत गए। नम्रता के भाई-भाभी को जेल हो गई थी। इधर नम्रता मेरा-वीनू का सहारा पाकर धीरे-धीरे इस दु:ख से बाहर निकल रही थी। मिस्टर रायजादा की आंखों में प्रशंसा के भाव थे वे भाव जिन्हें देखने के लिए मैंने अपना कैरियर, अपना सब कुछ उनके नाम कर दिया था। वो मिस्टर कपूर को फोन पर खुशखबरी सुना रहे थे। अरे कपूर मेरी बीबी केस जीत गई है। मैं बहुत खुश हूं। रायजादा साहब की दिशा आज खुश है। अपना खोया नाम पाकर मिसेज दिशा रायजादा। क्रिमिनल लॉयर जो अब उनके घर के बाहर की तख्ती पर लगा है। नम्रता को हम घर ले आए। वीनू हमेशा उसे प्यार और सहारादेता। नम्रता इन सबसे दूर हो चुकी थी। खुशियां धीरे-धीरे हमारे दरवाजे पर दस्तक देने लगीं थीं। आज नम्रता बहुत बड़ी खुशी लेकर आई थी। मैं दादी बनने वाली हूं। लग रहा था कि रेत की तरह जो खुशी फिसल गई थी। हम सब ने मिलकर उसे वापस पा लिया था। एक मुट्ठी खुशी पाने का अहसास आज सही मायनों में हमारे साथ था। हम आज भी बगीचे में ही बैठे हैं। और आज बगीचे में और बच्चों के साथ अपने जुड़वां पोते-पोती को खेलते देख रहे हैं। सोना-मोना की तरह अपनी एकमुट्ठी-खुशी को बढ़ते देखने के अहसास के साथ।
एक मुट्ठी खुशी
– राजकुमार सोनी
मिस्टर और मिसेज रायजादा बगीचे में बैठे हैं। जब से सरकारी नौकरी में आए थे लोग मिस्टर रायजादा के नाम से ही उनको पहचानते हैं। बगीचे में बहुत सारे बच्चे खेल रहे हैं और हम दोनों इन्हीं में अपने बच्चों का बचपन याद करके हंस रहेथे। ये हम दोनों की ही आदत है कि हम हर छोटी से छोटी खुशी में भी ठहाके लगाते हैं। घर पहुंच कर चाय बनाकर मैं फिर पुरानी यादों में खो गई। कैसे उन्होंने तीनों बच्चों को अंगुली पकड़कर चलना सिखाया, रात-रात भर जागकर उनका ध्यान रखा। उनके साथ वाली मिसेज शर्मा, मिसेज गुप्ता और हां मिसेज जैनसब लोगों के यहां आया रखी हुई थी, पर उन्होंने कभी बच्चों के लिए आया नहीं रखी। एक बार मिसेज शर्मा की बेटी की आया को उन्होंने उसके दूध की बॉटल से दूध पीते हुए देखा तब से तो उन्होंने पक्का मन बना लिया कि बच्चों को खुद ही पालेगी। हालांकि वीनू के बाद जुड़वा बेटियों को पालने में उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ा, पर बच्चों को पालना, उनके मुंह से मां-पापा सुनना एक अलग ही तरह का अहसास है। घर में वे और उनके तीन बच्चे हैं। सास-ससुर गांव में रहते थे। 3-4 महीने उनके पास रहकर चले जाते। गांव उन्हें अपना लगता। पर इन तीन चार महीनों में ही मीना उनका इतना ध्यान रखती किसारा दिन मुंह से आशीर्वाद ही निकलता। मां जी तो हमेशा कहती- तुम मेरा इतना ध्यान रखती हो, देखना तुम्हारे बच्चे सोने के पालने में झूला झुलाएंगे और वो हंसकर कहती, अरे… मां जी सोना बहुत महंगा हो गया है। जो जुड़वां बेटियां सोना-मोना और एक बेटे वीनू की मां मीना सारा दिन बच्चों के आगे-पीछे दौड़ती रहती हैं। कभी-कभी मन में ख्याल आता, इतनी पढ़ाई में तो वे आज कहीं नौकरी कर रही होती, किसी उच्च पद पर होती पर अगले ही पल उन्हें अपना मां, पत्नी और बहू वाला पद याद आ जाता और वो फिर अपनी दुनिया में रमजातीं। धीरे-धीरे बच्चे बड़े हो गए। वीनू बड़ा था। सोना-मोना से। बड़े होने पर उनकी ख्वाहिशे बढऩे लगीं और जरूरतें भी । वे मिस्टर रायजादा उनकी हर ख्वाहिश और जरूरतें पूरी करने में अपनी पूरी ताकत लगा देते। आखिर इस महंगाई के दौर में तीन बच्चों को पालना आसान नहीं है। वो तो शुक्र है कि उनके बच्चे बहुत समझदार हैं। वीनू आईएएस आफिसर बनकर मुम्बई में है, तो बेटियां भी अपने पसंद के क्षेत्र में हैं। सोना फैशन डिजाइनर बनी और साथ ही में काम करने वाले रोहित को पसंद कर लिया। हमें भी रोहित अच्छा लगा और सादगी से उनदोनों का विवाह कर दिया। मोना सोना से 15 मिनट छोटी है। बचपन में शिक्षिका बनकर हमें पढ़ाती थी। आज एक स्कूल में प्रिंसीपल बन गई है। बस अब मोना और वीनू के लिए अच्छा रिश्ता मिल जाए तो जिंदगी के सारे काम खत्म। फिर वो अपनीख्वाहिशें पूरी करेगी। शादी से पहले ही उनका भी एक सपना था। सारी दुनिया को ज्यादा नहीं सिर्फ एक मुट्ठी खुशी देने का, और वो ये सपना जरूर पूरा करेंगी।
तभी फोन की लगातार बजती घंटी से ध्यान भंग हो गया। अरे… ये तो वीनू है। कल शाम को वो आ रहा है। हम सबको एक खुशखबरी देने। विनीत बहुत समझदार लड़का है। जरूर उसका प्रमोशन हो गया है। खुशी के मारे उनसे भी खुशखबरी नहीं पूछीगई वो तो बस ये खबर मोना और उसके पापा को सुनाने दौड़ पड़ी।
सोना और रोहित को भी फोन कर दिया। कल का डिनर सब साथ ही करेंगे। इधर, मिस्टर रायजादा भी बहुत शुख थे। विनीत बहुत अच्छे मौके पर घर आ रहा है। आज सुबह ही उनकी मुलाकात मिस्टर कपूर जो उनके घनिष्ठ-पारिवारिक मित्र हैं, से हुई है। उन्होंने अपने बचपन के वादे को निभाते हुए विनीत और काजल उनकी बेटी का रिश्ता तय कर दिया है। अब विनीत के आते ही वे उनकी सगाई करवा देंगे। काजल बहुत प्यारी लड़की है। सोना-मोना-विनीत की खास दोस्त पर ये चारों ही बचपन के इस वादे से अंजान थे। आज मीना के हाथों में मशीन लगी थी। दम आलू, पनीर, रायता, पुलाव, मिठाई और न जाने क्या-क्या उनका लाड़ला बेटा जो आ रहाथा। वो खुश है, पर मन ही मन डर भी है कि कहीं विनीत ने इस रिश्ते के लिएमना कर दिया तो, पर नहीं वो क्यों मना करेगा। काजल उसकी दोस्त है। कहते हैंन कि मियां-बीबी में दोस्ती होना बहुत जरूरी है। तो ये दोनों तो पहले सेही दोस्त हैं। बस मीना ये सोचकर दोगुने उत्साह से काम करने लगी।
उफ, ये विनीत कब आएगा, थककर सोफे पर बैठी ही थी कि दो हाथों ने उसकी आंखें बंद कर दी, अरे ये तो विनीत के हाथ हैं। विनीत के घर में आते ही हंगामा मचगया। तेज अंग्रेजी धुनों के गाने और मस्ती। पूरा दिन मां-मां करके पीछे घूमता रहता था। अब इसी बच्चे की शादी तय हो गई है। रात का खाना खाकर जब सबलोग बैठक में बैठे तब विनीत ने बताया कि मम्मी-पापा मैंने एक लड़की पसंद करली है। बहुत अच्छी है। हम साथ काम करते हैं। मां-बाप नहीं हैं। भाई-भाभी हैं। वे मुझसे मिल चुके हैं। उन्हें हमारे रिश्ते पर कोई एतराज नहीं है। हमारे घर का माहौल इतना दोस्ताना था कि वीनू ने ये सारी बातें इतनी सहजतासे बता दीं। हम लोग काजल से बात पक्की ना करते तो हमें भी इस रिश्ते पर कोई एतराज न था। थोड़ा मुस्कुराये और बिना कुछ कहे अपने रूम में चले गए। हम समझ गए कि ये गहरी सोच में है। इसलिए उठकर चले गए, मैं भी साथ ही अंदर चली गई। रात का पता नहीं कौन सोया कौन नहीं… मगर मैं रात भर सो न सकी। एक तरफ मिस्टर रायजादा का वादा और दूसरी तरफ वीनू का प्यार। अब हमारे पास मिस्टर कपूर से बात करने के अलावा कोई चारा न था। सुबह होते ही हमने उन्हें फोन कर दिया कि हम लोग नाश्ता वहीं करेंगे। तैयार होकर मैं और रायजादा साहब वहां गए। वहां जाकर रायजादा साहब ने बिना किसी भूमिका के उनसे सारी बातें कह दीं। आगे निर्णय उन्हीं पर छोड़ दिया। कपूर साहब भी 5 मिनट के लिए सकते में आ गए। लेकिन ये दो दोस्त नहीं दो जान थे। आखिर वीनू उनके लिए भी बेटे समान ही था। उन्होंने वीनू का साथ दिया। उसे उस लड़की, जिसका हम अभी तक नाम भीनहीं जानते थे से शादी के लिए रजामंदी दे दी। हम हंसी-खुशी घर आए और इधर हमारे पीछे घर पर काजल आ गई थी- वीनू से मिलने। वीनू ने उसे भी सब बता दिया था, मुझे लगा आज की पीढ़ी हमसे ज्यादा समझदार है। बिना किसी तनाव के समस्याओं के हल ढूंढ़ लेती है। घर में खुशियों का माहौल बन गया। सबके चेहरों पर खुशी थी, अब मेरे भी मन में बहू को लाने के अरमान जगने लग गए। ये 4 दिन बाद हम सब मुम्बई जा रहे हैं। नम्रता और वीनू के रिश्ते की बात करने। उसके भैया-भाभी से। नम्रता के लिए मैंने साडिय़ां, सेट, सगाई की अंगूठी सब ले लिया था। काजल इन तैयारियों में मेरी पूरी मदद कर रही थी।
मुम्बई पहुंचते ही सारी बातें तय हो गईं। दोनों का उतावलापन देखकर और मलमासके आने पर 15 दिनों में ही शादी करने की बात तय हो गई। ओ..हो.. कितने काम करने हैं। वीनू-नम्रता ने भी छुट्टियां ले लीं थी। शादी के बाद हनीमून की बात सुनकर दोनों ने ही मना कर दिया कि हम बाद में तो मुम्बई में ही रहेंगे। इसलिए हमारी सारी छुट्टियां हम आपके साथ बिताना चाहते हैं। मैं तो ऐसी बहूपाकर निहाल हो गई थी। सब कुछ अच्छा चल रहा है। बड़ी धूमधाम से वीनू की शादी हुई। मैंने- मिस्टर रायजादा ने और सोना-मोना-काजल, मिस्टर कपूर सबबहुत खुश थे। मेरे पास आज एक मुट्ठी नहीं सारे जहान की खुशियां थीं।
शादी के बाद के दिन हवा बनकर उड़ रहे हैं। रोज शाम को कहीं न कहीं काप्रोग्राम बनता और वीनू-नम्रता को अकेले जाने का कहते, तो दोनों ही मना कर देते। रोज हम सब साथ ही में जाते। मैं तो रोज भगवान के सामने सबकी नजर उतारती कि कहीं हमारी खुशियों को किसी की नजर न लग जाए। आज शाम की फ्लाइटसे वीनू-नम्रता मुम्बई जा रहे हैं। अगले महीने नम्रता का जन्म दिन है। वो हम सबसे वादा लेकर गई है कि हम लबको मुम्बई उसके जन्म दिन पर जाना है।मिस्टर कपूर-काजल को भी वहां आना है। आखिर कपूर साहब ने उसे अपनी बेटी जो बना लिया। काजल उसकी तो वो बहन बन गई थी तो हम सबको तो मुंबई जाना ही था।
वीनू-नम्रता के बिना घर बहुत सूना हो गया था। हम सब बेसब्री से अगले महीने मुम्बई जाने का इंतजार कर रहे हैं। मां मेरी सारी पैकिंग हो गई है। आप-पापा भी जल्दी से पैकिंग खत्म कर लो। हमें आज शाम को निकलना है। कल भाभी का जन्म दिन है। मोना लगातार बोल रही है। मेरे हाथ भी उसी तेजी से सारे काम खत्म कर रहे हैं।
मां-पापा, सोना-मोना-कपूर अंकल-काजल और पापा- आज में बहुत खुश हूं।वीनू-नम्रता खुशी से चिल्ला पड़े। हम सब शाम की पार्टी की तैयारी में लग गए। मैं नम्रता के लिए बहुत सुंदर लाल रंग की ड्रेस लाई थी। शाम को वो वही पहनने वाली है। एक डायमंड सेट नम्रता तो खुशी से पागल ही हो गई- ये सब देखकर। शाम को उन दोनों के बहुत सारे दोस्त आए। सभी काफी समझदार लग रहे थे।अच्छे घरों के मगर उसमें से एक जोड़ा मुझे पता नहीं क्यों कुछ अजीब लग रहा था। नम्रता से कहा भी। पर ऐसा कुछ नहीं कहकर उसने बात को गोल कर दिया।पार्टी बहुत अच्छी रही। रात के दो बजे तक चली। हम सब बहुत थक चुके थे। इसलिए बिस्तर पर जाते ही सब सो गए। दूसरे दिन रविवार था इसलिए सुबह उठने का टेंशन भी नहीं था।
आज सुबह नाश्ते पर ही नम्रता ने कहा कि आज सब लोग पिकनिक पर जाएंगे। साथ में वीनू और नम्रता के कुछ दोस्त बी रहेंगे। हम सब तैयारी में लग गए, बीच-बीच में नम्रता मुझे थकी सी लगी, पर पार्टी की थकान समझकर मैंने ध्यान नहीं दिया। सारी तैयारी हो चुकी थी और इन दोनों के दोस्त भी आ चुके थे, जहां हम लोग गए वो जगह वीनू के बॉस का फार्महाउस था। बहुत खूबसूरत और ढेरसारे फूलों से भरा हुआ। मन को सुकून देने वाली जगह है यह। मगर वीनू का वो दोस्त -उसकी बीबी जिनकी हरकतें मुझे पार्टी में भी कुछ असामान्य लग रही थीं। यहां भी वे कुछ अजीब सा व्यवहार कर रहे हैं। वे दोनों और नम्रता कमरे में पता नहीं क्या कर रहे हैं। मुझे किसी अनहोनी की आशंका हुई और मैं कमरे में जा पहुंची। मुझे वहां देखकर तीनों सकपका गए और वे दोनों नम्रता को वहींछोड़कर बाहर चले गए।
क्या बात है नम्रता। कुछ परेशानी है। नम्रता ने जब आंखें ऊपर उठाईं तो उसकीांखें दहकते शोलों जैसी थीं। मां मुझे ड्रग्स की आदत लग चुकी है- नम्रताने बिना किसी भूमिका के कहा और मेरी गोद में सर रखकर रोने लगी। मैं जीनाचाहती हूं-मां। पर ये लत मुझे मार डालेगी। मुझे बचा लो-मां।
ये क्या कह रही हो। वीनू की तेज आवाज आई। पूरा घर दरवाजे पर खड़ा ये सच सुनचुका था। मुझे लगा मेरे हाथ से खुखियां रेत की तरह फितलती जा रही हैं। मैं… नहीं-नहीं मुझे कुछ करना होगा।
सब लोगों को शांत करके मैंने नम्रता को पानी पिलाया और उससे इस लत के बारे में पूछा, उसने जो बताया वो सुनकर मैं सिहर उठी।
नम्रता अपने मां-बाप की इकलौती संतान थी और एक मुंह बोला भाई था जिसने प्यार का झूटा आवरण रच रखा था। नम्रता के पापा ने अपनी वसीयत में सारी जायदाद नम्रता के नाम कर दी थी। जो करोड़ों रुपये की है। नम्रता की आकस्मिक मौत होने पर उसकी सारी जायदाद उसके भाई को मिल जाएगी। इस बात का पता चलते ही भाई-भाभी ने मिलकर ड्रग्स का षडयंत्र रचा और उसे इसकी आदत डलवा दी। वीनू से प्यार के बाद उसने काफी हद तक अपनी कमजोरी पर काबू पा लिया। मगर कुछसमय पहले भाई-भाभी ने अपने एक दोस्त और उसकी बीबी को उसके पास भेज दिया। उन्होंने उसे फिर उसी गर्त में ढकेल दिया। मां-मैं आप लोगों के साथ जीना चाहती हूं। उसके सिर पर हाथ फेरती मैं एक निर्णय ले चुकी थी। नम्रता को हमारा प्यार और सहयोग चाहिए। वीनू अपने प्यार की ये हालत देखकर आपे से बाहर हो गया था। इन दोनों को मेरे सहारे की जरूरत है। आज मुझे भी अपना नाम सार्थक करना है। जी हां… मैं दिशा रायजादा। क्रीमिनल लॉयर अपने समय की एक जानी मानी वकील, आप मुझे भी अपना अस्तित्व ढूंढऩा है। अपनों की खुशी वापस लाना है।
सबसे पहले मैंने नम्रता को रिहेब सेंटर में भर्ती करवा दिया और उन लोगों को सख्त निर्देश दिए कि मेरे और वीनू के अलावा और कोई बाहरी व्यक्ति उससे नहीं मिल सकता। दूसरी तरफ उसके भाई पर केस लगा दिया जायदाद के लिए अपनी बहन की हत्या की कोशिश के आरोप में। मुझे अपनी बहू और स्वयं की पहचान वापस लानी थी। 6 माह की लंबी लड़ाई के बाद हम केस जीत गए। नम्रता के भाई-भाभी को जेल हो गई थी। इधर नम्रता मेरा-वीनू का सहारा पाकर धीरे-धीरे इस दु:ख से बाहर निकल रही थी। मिस्टर रायजादा की आंखों में प्रशंसा के भाव थे वे भाव जिन्हें देखने के लिए मैंने अपना कैरियर, अपना सब कुछ उनके नाम कर दिया था। वो मिस्टर कपूर को फोन पर खुशखबरी सुना रहे थे। अरे कपूर मेरी बीबी केस जीत गई है। मैं बहुत खुश हूं। रायजादा साहब की दिशा आज खुश है। अपना खोया नाम पाकर मिसेज दिशा रायजादा। क्रिमिनल लॉयर जो अब उनके घर के बाहर की तख्ती पर लगा है। नम्रता को हम घर ले आए। वीनू हमेशा उसे प्यार और सहारादेता। नम्रता इन सबसे दूर हो चुकी थी। खुशियां धीरे-धीरे हमारे दरवाजे पर दस्तक देने लगीं थीं। आज नम्रता बहुत बड़ी खुशी लेकर आई थी। मैं दादी बनने वाली हूं। लग रहा था कि रेत की तरह जो खुशी फिसल गई थी। हम सब ने मिलकर उसे वापस पा लिया था। एक मुट्ठी खुशी पाने का अहसास आज सही मायनों में हमारे साथ था। हम आज भी बगीचे में ही बैठे हैं। और आज बगीचे में और बच्चों के साथ अपने जुड़वां पोते-पोती को खेलते देख रहे हैं। सोना-मोना की तरह अपनी एकमुट्ठी-खुशी को बढ़ते देखने के अहसास के साथ।
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