इस दिशा में करें मंदिर को स्थापित
वास्तु शास्त्र के नियमों के अनुसार, मंदिर को घर के ईशान कोण यानी उत्तर दिशा में स्थापित करें और इस बात का भी ध्यान रखें कि भगवान का मुख पश्चिम दिशा में हो और साधक का मुथ पूर्व दिशा में होना चाहिए। ऐसा करना शुभ हो सकता है।
मंदिर को रखें साफ
घर में बने मंदिर की पवित्रता का विशेष ध्यान रखें। मंदिर को हमेशा साफ- सुथरा रखें और पूजा से पहले भी साफ- सफाई जरूर करें। ऐसा करने से पूजा का फल प्राप्त होता है।
यहां पढ़े धार्मिक ग्रंथ
अगर आपने कोई धार्मिक ग्रंथ रखा है तो उसे पढ़ने के लिए पूजा घर का इस्तेमाल ही करें और उन्हें पूजा स्थल पर रखें। ऐसा करने से मनोकामना पूर्ण होती है।
दीपक जलाएं
पूजा स्थल पर हर दिन दीपक जलाएँ और अगरबत्ती की जगह धूप प्रज्वलित करें। बता दें कि ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और कई प्रकार की समस्याएं दूर हो जाती हैं। वहीं इस बात का ध्यान रखें कि दक्षिण दिशा में दीपक न जलाएं। इसे यम की दिशा माना जाता है। ऐसा करने से शारीरिक और आर्थिक समस्याएं बढ़ती हैं।
इस जगह पर न हो पूजा स्थल
इस बात का ध्यान रखें कि पूजा स्थल बाथरूम के पास नहीं होना चाहिए। इससे नकारात्मकता में बढ़ोतरी होती है और कई प्रकार की समस्याएं उत्पन्न होती हैं।
अपने घर के मंदिर की सजावट करने के लिए निम्नलिखित आदेशों का पालन करें:
- स्थान का चयन करें: अपने घर में एक शुभ स्थान चुनें जहां आप मंदिर स्थापित करना चाहते हैं। यह स्थान साफ़, शांतिपूर्ण और उच्चतम ऊँचाई पर होना चाहिए।
- मंदिर का आकार और डिज़ाइन चुनें: अपने मंदिर के लिए आकार और डिज़ाइन का चयन करें। आप एक छोटा और सरल मंदिर चुन सकते हैं या फिर एक बड़ा और विस्तृत मंदिर भी चुन सकते हैं। आप मंदिर को विभिन्न धातुओं या लकड़ी से बनाएं और उसे आपकी प्राथमिकताओं और आपके घर के वास्तु नियमों के अनुसार सजाएं।
- मंदिर की सजावट करें: मंदिर को सजाने के लिए आप विभिन्न पूजा सामग्री, मूर्तियाँ, दीपक, फूल, चंदन, रोली, अक्षत, आरती की थाली, आदि का उपयोग कर सकते हैं। आप मंदिर को रंगीन और आकर्षक बनाने के लिए वस्त्र, तांबे के कलश, गुलाबजल, आदि का उपयोग कर सकते हैं।
- रोज़ाना पूजा करें: मंदिर को सजाने के साथ-साथ, आपको रोज़ाना नियमित रूप से पूजा करनी चाहिए। इससे आपके घर में शांति और समृद्धि की वातावरण बनी रहेगी। आप अपने मंदिर में अपने द्वारा पसंद की गई देवी-देवताओं की मूर्तियाँ रख सकते हैं और उन्हें नियमित रूप से पूजा कर सकते हैं।
- ध्यान और मेधा का अभ्यास करें: मंदिर में ध्यान और मेधा का अभ्यास करने के लिए समय निकालें। यह आपको मानसिक शांति और स्पष्टता प्रदान करेगा। आप ध्यान के लिए एक आसन स्थापित कर सकते हैं और ध्यान के दौरान मंदिर में ध्यान वस्त्र और ध्यान सामग्री का उपयोग कर सकते हैं।
यदि आपको अधिक सलाह चाहिए या किसी विशेष विषय पर जानकारी चाहिए, तो कृपया बताएं ताकि मैं आपकी मदद कर सकूं।
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