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Fri, 20-September-2024

कलात्मकता व अश्लीलता में फर्क पर क्या कहता है कानून?

पिछले दिनों जबसे एक्टर रणवीर सिंह की न्यूड फोटो सामने आई। उसके बाद से यह सवाल उठ रहा है कि क्या ऐसी फोटो खिंचवाना और उसे शेयर करना अपराध है? सवाल इसलिए उठा क्योंकि एक्टर के खिलाफ केस दर्ज हुआ है। जानते हैं कि इस मामले में कानून क्या कहता है और कलात्मकता व अश्लीलता में क्या फर्क है? 
एक्टर रणवीर सिंह ने न्यूड फोटोशूट करवाया और फोटो सोशल मीडिया अकाउंट से शेयर कीं। इसके बाद मुंबई में रणवीर सिंह के खिलाफ एक शख्स ने शिकायत की और एक्टर के खिलाफ केस दर्ज कर लिया गया। 
ऐसी तस्वीरों से बच्चों पर निगेटिव असर पड़ेगा
शिकायती का कहना था कि भारत सांस्कृतिक विरासत वाला देश है और ऐसी तस्वीरों से बच्चों पर निगेटिव असर पड़ेगा। बताया जाता है कि रणवीर सिंह ने किसी विदेशी मैगजीन के लिए यह फोटोशूट करवाया है। शिकायत के आधार पर पुलिस ने आईपीसी की धारा-292, 293 व आईटी एक्ट की धारा 67 ए के तहत केस दर्ज किया है। 
अश्लीलता के मामले में क्या है कानून
कानूनी जानकारों के मुताबिक आईपीसी में और आईटी एक्ट में अश्लीलता करने या फैलाने वालों के खिलाफ मुकद्दमा दर्ज कर केस चलाने का प्रावधान है। आईपीसी की धारा-292, 293, 294 के अलावा आईटी एक्ट -67 व 67ए के तहत केस दर्ज हो सकता है। एडवोकेट मनीष भदौरिया ने कहा कि आईपीसी की धारा-292 के तहत प्रावधान है कि अगर कोई शख्स किसी तरह की अश्लील सामग्री, किताब आदि बेचता है या बांटता है तो ऐसे मामले में दोषी पाए जाने पर पहली बार में 5 साल तक कैद हो सकती है। 
आईपीसी की धारा-293 के तहत प्रावधान है कि अगर कोई शख्स 20 साल से कम उम्र के शख्स को अश्लील सामग्री या किताब देता या बेचता है तो 3 साल तक कैद हो सकती है। दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 7 साल तक कैद और दो हजार रुपये तक जुर्माना भी हो सकता है। 
आईपीसी की धारा-294 के तहत प्रावधान है कि अगर कोई शख्स पब्लिक प्लेस पर अश्लील हरकत करता है या अश्लील गाने गाता है या अश्लील भाषा का इस्तेमाल करता है तो दोषी पाए जाने पर 3 महीने तक कैद की सजा हो सकती है। 
आईटी एक्ट में क्या है प्रावधान
सोशल मीडिया या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से अगर कोई शख्स अश्लील कंटेंट को सर्कुलेट करता है या उसे प्रकाशित या प्रसारित करता है तो आईटी एक्ट के तहत मुकद्दमा होगा। मौजूदा मामले में भी सोशल मीडिया के जरिये कंटेंट सर्कुलेट किया गया है, ऐसे में आईटी एक्ट की धारा-67 व 67 ए लगती है। आईपीसी की धारा-67 में कहा गया है कि अगर कोई शख्स अश्लील मैटेरियल (वासना वाले या कामुमता आदि वाले कंटेंट) इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्रसारित करता है तो वह अपराध है। पहली बार दोषी पाए जाने पर 3 साल कैद और 5 लाख रु. तक जुर्माना, दूसरी बार दोषी पाए जाने पर 5 साल तक कैद और 10 लाख तक जुर्माना देना पड़ सकता है। आईटी एक्ट -67 ए के मुताबिक कोई भी कंटेट जो सेक्शुअलिटी की हरकत को दर्शाता हो और उसे इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्रसारित या प्रकाशित किया जाता है तो दोषी शख्स को सजा हो सकती है। पहली बार में 5 साल कैद और 10 लाख रु. तक जुर्माना और दूसरी बार दोषी करार दिया गया तो 7 साल तक कैद व जुर्माना हो सकता है। यह मामला गैर जमानती अपराध है। 
अश्लीलता और कलात्मकता में क्या फर्क है?
कला और अश्लीलता के पैमाने समय और समाज के अनुसार बदलते रहते हैं। आईपीसी कानून में अश्लीलता क्या है और क्या कलात्मकता है इसे सुप्रीम कोर्ट ने कई फैसलों में समझाया है। एडवोकेट विराग गुप्ता बताते हैं कि कलात्मकता के साथ उसकी पृष्ठभूमि होती है जबकि अश्लीलता विशुद्ध बाजारु होती है। अश्लीलता शब्द व्यापक है और उस दायरे में सब-कुछ आ जाता है। कौन-सा कंटेट कलात्मकता वाला श्रृंगारिक मैटेरियल है और कहां कामोत्तेजक भाव है, अदालत केस दर केस इसे देखती है।